Шукра нити 59

अन्वयः—समन्यूनाधिकत्वेन सारूप्यादिप्रभेदतः अन्योऽन्यगुणभूषा सा अलङ्कृतिः
वर्ण्यते ॥ ५९ ॥

व्याख्या—समत्वेन = तुल्यत्वेन, न्यूनत्वेन = ऊनत्वेन, आधिक्येन = बहुत्वेन, वा = अथवा, सारूप्यादिप्रभेदतः= सादृश्यादिभेदेन, अन्योन्यस्य = परस्परस्य, गुणानाम् = धर्माणाम्, यत् वर्ण्यते = वर्णनं क्रियते, सा = तद्ग्रन्थः, अलङ्कृतिः = अलङ्कारशास्त्रम् इति कथ्यते ॥ ५९ ॥

हिन्दी — जिसमें समानता, न्यूनता एवं अधिकता और सादृश्य आदि भेद से परस्पर शब्द और अर्थ के गुणों के वैचित्र्य का वर्णन हो, उसे अलङ्कारशास्त्र कहते हैं ॥ ५९ ॥

समेति। समत्वेन न्यूनत्वेन आधिक्येन वा सारूप्यादिप्रभेदतः सादृश्यादिभेदेन अन्योऽन्यस्य परस्परस्य गुणानां भूषा वैचित्र्यमित्यर्थः, यत् वर्ण्यते सा अलङ्कृतिः तद्ग्रन्थश्च अलङ्कार इति व्यपदिश्यते ॥ ५९ ॥

В которой есть описание разнообразия равенства, ограниченности, избытка и аналогии слов и смыслов с различием их качеств (гун) называется Аланкаршастра (Аланкара — украшение).

Аланкаршастра — шастра посвященная украшениям в поэзии.

Шукра нити 59
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