Шукра нити 99


अन्वयः—कलासु आशुकारित्वम् आदानं, चिरक्रिया प्रतिदानं द्वौ गुणौ ज्ञेयौ, द्वे कले परिकीर्त्तिते ॥९९ ॥
व्याख्या—कलासु = पूर्वोक्तासु विविधासु कलासु, आशुकारित्वं = शीघ्रकारित्वम्, आदानम् = स्वीकरणम्, चिरक्रिया = विलम्बेन कार्यकारित्वम्, प्रतिदानम् = प्रत्यर्पणम्, कलासु एतौ द्वौ, गुणौ = धर्मों, ज्ञेयौ = ज्ञातव्यौ, तस्मात् द्वे = उभे, कले, परिकीर्त्तिते = कथिते ॥९९ ॥
हिन्दी — कला -सम्पादन में शीघ्रता ‘आदान’ कहलाता है और ‘विलम्ब’ प्रतिदान कहलाता है। अथवा किसी के ग्रहण करने में शीघ्रता तथा देने में विलम्ब करना यद्यपि ये दोनों गुण हैं तथापि भिन्न-भिन्न दो कलाएँ मानी जाती हैं ॥ ९९ ॥
आदानमिति । कलासु आशुकारित्वम् आदानं, चिरक्रिया प्रतिदानम् । कलासु एतौ द्वौ गुणौ ज्ञेयौ, तस्मात् द्वे कले परिकीर्त्तिते ॥ ९९ ॥

В художественном редактировании (सम्पादन) поспешность называется «принятие, получение» (आदान) , а «медлительность» — воздаянием (प्रतिदान). Или быстрота в принятии чего-то (ухватить момент) и промедление в даянии, хотя и то, и другое — два качества (казалось бы одного), но считаются двумя разными искусствам

Шукра нити 99
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