दानेन पाणिर्न तु कंकणेन स्नानेन शुद्धिर्न तु चन्दनेन।
मानेन तृप्तिर्न तु भोजनेन ज्ञानेन मुक्तिर्न तु मंडनेन।।
सच्ची सुंदरता की चर्चा करते हुए हाथों की सुन्दरता दान से है न की हीरे जवाहरात जड़े गहने पहनने से, शरीर नहाने से स्वच्छ होता है, न की चन्दन तेल लगाने से|
सज्जन सम्मान से संतुष्ट होता है, खाने पिने से नहीं, सजने सवारने से मोक्ष नहीं मिलता है, आत्मा का ज्ञान होने पर ही मोक्ष मिलता है|
Истинная красота рук связана с благотворительностью, а не с ношением браслетов, (усыпанных бриллиантами и драгоценными камнями), тело очищается купанием, а не нанесением сандалового масла.
Добродетельные люди довольствуется(сыты) уважением, а не едой и питьем, они не достигают осовобождения, будучи украшенными, они получают освобождение только после того, как познают, что такое душа.