जले तैलं खले गुह्यं पात्रे दानं मनागपि।
प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं याति विस्तारे वस्तुशक्तितः।।
जल में तेल, कपटी को बताया हुआ रहस्य, सुपात्र को दिया गया दान भले ही वह थोड़ा ही क्यों न हो, सुयोग्य को दिया गया ज्ञान अपने गुणों कारण स्वयं ही बढ़ते हैं।
Масло в воде, тайна, рассказанная лицемеру, дар, данный достойному человеку, пусть даже небольшой, знание, данное достойному человеку, все они прорастают (вылезают наружу) в силу собственных свойств(сами по себе).
Иными словами «шила в мешке не утаишь».
Чанакья нити 14.5