Чанакья нити 14.9

दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थितः।
यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरतः।।

जो ह्रदय में विधमान है वह दूर रहते हुए भी समीप है, लेकिन जो ह्रदय के समीप नहीं है वह पास रहते हुए भी दूर है|

То, что в сердце — близко, хотя и далеко(физически), а то, что не в сердце, далеко, хотя и близко(физически).

Чанакья нити 14.9

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