अर्धाधीताश्च यैर्वेदास्तथा शूद्रान्नभोजनाः ।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः ॥
जिन्होंने वेदों का अध्ययन पैसा कमाने के लिए किया और जो नीच काम करने वाले लोगो का दिया हुआ अन्न खाते है उनके पास कौनसी शक्ति हो सकती है. वो ऐसे भुजंगो के समान है जो दंश नहीं कर सकते.
Те, кто изучал Веды, чтобы зарабатывать на этом деньги, и те, кто ест пищу, подаренную людьми, совершающими подлые поступки, какой силой они могут обладать ? Они как беззубые змеи, которые не могут никого укусить.
Чанакья Нити 9.8