Перевод Шукра нити 31

मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनाम प्रोक्तमृगादिषु ॥ ३१ ॥

अन्वयः—ऋगादिषु मन्त्रब्राह्मणयोः वेदनाम प्रोक्तम् ॥ ३१ ॥

व्याख्या—ऋगादिषु = ऋग्यजुःसामाथर्वसु, मन्त्रात्मकः, ब्राह्मणश्चेति तयोः, वेद इति नाम = अभिधानम्, इति प्रोक्तम् = कथितम् ॥ ३१ ॥

हिन्दी—चारों वेद दो खण्डों में विभक्त हैं — एक मन्त्रात्मक और दूसरा ब्राह्मण ॥ ३१ ॥

मन्त्रेति। ऋगादिषु ऋक्यजुःसामाथर्वसु मन्त्रब्राह्मणयोः वेदनाम वेद इति नाम प्रोक्तं कथितं तथा च वेदः द्विविधः— मन्त्रात्मकः ब्राह्मणश्चेति भावः॥३१॥

Четыре Веды разделены на две части: одну мантраматическую, а другую брахманическую.

Перевод Шукра нити 31

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