Шукра нити 36

अन्वयः—उपास्योपासनात्मकः अथर्वाङ्गिरसः नाम । इति वेदचतुष्कं समासतः हि उद्दिष्टम् ॥ ३६ ॥
व्याख्या—उपास्यानाम् = उपासनीयानां देवानाम्, उपासनात्मकः= आराधनात्मको वेद- भागः, अथर्वाङ्गिरसः= अथर्ववेदः इति नाम्ना ख्यातः । इति = अनेन प्रकारेण, वेदचतुष्कम् = चत्वारो वेदाः, समासतः= सङ्क्षेपेण, उद्दिष्टम् = कथितम् ॥३६॥

हिन्दी—वेद के जिस भाग में उपासनीय देवताओं का तथा उनकी उपासना का वर्णन हो, उसे
अथर्वाङ्गिरस अर्थात् अथर्ववेद कहते हैं। इस प्रकार संक्षेप में चारों वेदों का रूप बतलाया गया है ॥ ३६ ॥

अथर्वेति। उपास्यानाम् आराध्यानां देवानाम् उपासनात्मकः वेदभागः अथर्वाङ्गिरसः नाम। इति उक्तप्रकारं वेदचतुष्कं समासतः सङ्क्षेपेण उद्दिष्टं कथितं हि, हिशब्दोऽव- धारणार्थः॥३६ ॥

Та часть Вед, в которой описываются божества, которым следует поклоняться, и (само) поклонение им, называется Атхарвангираса означает Атхарваведа. Таким образом, формы четырех Вед были кратко объяснены(представлены).

Шукра нити 36
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