Перевод Шукра нити 35

उद्गीथं यस्य शस्त्रादेर्यज्ञे तत् सामसंज्ञकम् ।। ३५ ।।

अन्वयः— शस्त्रादेः यज्ञे यस्य उद्गीथं तत् सामसंज्ञकम् ॥ ३५ ॥

व्याख्या—शस्त्रादेः= आयुधादेः, यज्ञे = यागे, यस्य = आयुधस्य, उद्गीथम् = उच्चैः गायनं भवति, तत् सामसंज्ञकं = सामवेद इति नाम्ना कथितम् ॥ ३५ ॥

हिन्दी – यज्ञ में हथियारों की स्तुति ऊँची आवाज में गाकर जिस संहिता में की जाती हो, उसे सामवेद कहा जाता है ॥ ३५ ॥

उद्गीथमिति। शस्त्रादेः यज्ञे यस्य उद्गीथम् उच्चैर्गीतं विहितमिति शेषः, तत् सामसंज्ञकं सामनाम्ना कथितम् ॥ ३५ ॥

Там где восхваляется оружие (Шастры) громким голосом в процессе пуджи (Ягьи), называется Самаведа.

Перевод Шукра нити 35

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