Чанакья Нити 7.5

विप्रयोर्विप्रवह्न्योश्च दम्पत्योः स्वामिभृत्ययोः ।
अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च ॥

इन दोनों के मध्य से कभी ना जाए..
१. दो ब्राह्मण.
२. ब्राह्मण और उसके यज्ञ में जलने वाली अग्नि.
३. पति पत्नी.
४. स्वामी और उसका चाकर.
५. हल और बैल.

Остерегайтесь быть между этими двумя:
1. Двумя браминами.
2. Брахманом и огнём, горящим в процессе ритуала .
3. Мужем женой.
4. Хозяином и его слугой.
5. Плугом и быком.

«Молотом и наковальней»

Хороший пример, чтобы посмотреть на разбор:

विप्रयोः, विप्रवह्न्योः च दम्पत्योः, स्वामिभृत्ययोः, हलस्य वृषभस्य च अन्तरेण न गन्तव्यम्।

विप्रयोः, विप्रवह्न्योः दम्पत्योः, स्वामिभृत्ययोः- все पु. लिं. ष. वि. द्वि. व. of विप्र- брахмин, विप्रवह्नि- a брахмин и огонь- विप्रः च वह्निः च – द्वंद्व स., दम्पती- (पु. लिं. द्वि. व.)- муж и жена, स्वामिभृत्य- Хозяин и слуга- स्वामिः च भृत्यः च -द्वंद्व स., हलस्य & वृषभस्य- पु. लिं. ष. वि. ए. व. हल- плуг и वृषभ- бык, च- and, अन्तरेण- तृ. वि. ए. व. of अन्तर- между, внутри, न-нет, गन्तव्यम्- न. लिं. प्र. वि. ए. व. of गन्तव्य- (also गमनीय & गम्य)- कर्मणि वि. धा. सा. वि. глагола गम्- गच्छति १ ग. प. प. идти, двигаться.

Подробнее о методах разбора — смотрите статью о अव्यय

Чанакья Нити 7.5

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