श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम् ।
श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात् ॥
श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है.
Услышав, узнаешь о достойном, рассеиваешь дурное, обретаешь знание и освобождаешься от привязанности к иллюзиям.
Нужно еще дополнить, что Веды, часто называют в индуизме Шрути, т.е. то, что может быть услышано.
Чанакья Нити 6.1