राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः ।
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा ॥
राजा को उसके नागरिको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पाप लगते है. पति को पत्नी के पाप लगते है. गुरु को उसके शिष्यों के पाप लगते है
Царь чувствует (получает) грехи своих подданных. Священник, работающий вместо царя, берет на себя грехи царя. Муж чувствует грехи жены. Гуру чувствует (получает) грехи своих учеников.
Чанакья Нити 6.10