Чанакья Нити 5.9

वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते ।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम् ॥

धर्मं की रक्षा पैसे से होती है. ज्ञान की रक्षा जमकर आजमाने से होती है. राजा से रक्षा उसकी बात मानने से होती है. घर की रक्षा एक दक्ष गृहिणी से होती है.

Дхарма (честь, мораль) защищается богатством. Знания — применением.
Царские указы — их исполнением. Дом — заботливой домохозяйкой.

Чанакья Нити 5.9

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